ईद से पहले अल्लाह के नेक बंदों के लिए क्यों खास होता है रमजान का आखिरी अशरा

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दुनियाभर में पत्रिव रमजान का महीना चल रहा है जिसके पूरे होते ही ईद का मुबारक त्योहार मनाया जाएगा। इस समय रमजान के महीने का आखिरी अशरा चल रहा है, यानी इस पत्रिव माह के आखिरी 10 दिन। इन आखिरी 10 दिनों को खास महत्व दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान की गई इबादत सीधा अल्लाह तक पहुंचती है। इसलिए लोग आखिरी अशरे में इबादत के लिए एतिकाफ यानी एकांत वास में बैठते हैं। साथ ही इन दिनों शब-ए-कद्र के पांच रातों में खास इबादत की जाती है।

मजान खुदा की इबादत करने के लिए सबसे पाक महीना है जिसमें मोमीनों को खूब नेकियां कमाने का मौका मिलता है। कहा जाता है कि इस महीने खुदा की ओर से लोगों के ऊपर रहमत बरसती है। रमजान को 10-10 दिनों के तीन हिस्सों में बांटा गया है जिन्हें अशरा भी कहा जाता है। यानी रमजान में तीन अशरे होते हैं। आखिरी अशरा खास माना जाता है जो रमजान की 21 तारीख से शुरू हो जाता है। इस आखिरी अशरे में सबसे खास एतिकाफ और शब-ए-कद्र ही बताया गया है। 

आखिरी अशरे में एतिकाफ में बैठकर लोग एक कोना पकड़ लेते हैं और उसी में कई नियमों के साथ बैठते हैं। उन्हें जरूरी चीजों के लिए छोड़कर फिर उस जगह से अलग कहीं जाने की इजाजत नहीं होती। अगर मस्जिद में कोई एतिकाफ में बैठा है तो परिसर से बाहर नहीं जा सकता है। एतिकाफ में लोगों के खैर-ओ-बरकत, तरक्की और रोगमुक्त करने के लिए खुदा से दुआएं की जाती हैं।

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