यूरिया गोल्ड से मिलेंगे इतने सारे फायदे
आपको बतादे सबसे पहले यूरिया गोल्ड के फायदे के बारे में बताये तो यूरिया गोल्ड को लॉन्च करने का उद्देश्य मिट्टी में उर्वरकता की कमी को दूर करना और किसानों के लिए इनपुट लागत को कम करना है। यूरिया गोल्ड आर्थिक दृष्टि से और गुणवत्ता के हिसाब से मौजूदा नीम कोटेड यूरिया से बेस्ट है। यह यूरिया मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करता है। यह पौधों में नाइट्रोजन यूज एफिशिएंसी को बढ़ाता है। इससे फसल का उत्पादन बढ़ता है। इसके इस्तेमाल से उर्वरक की खपत भी कम होती है।
अब यह यूरिया हमारे लिए जी का जंजाल बन गया है। खेतों में डालो तो मुसीबत है और न डालने का तो अब सवाल ही नहीं पैदा होता।” बिहार के बेगुसराय जिले के बखरी गांव के 82 साल के किसान नंदन पोद्दार की इस उलझन का इलाज फिलहाल किसी के पास नहीं है। यूरिया उनके खेतों का वह जीवन बन गया है जिसकी फसल जहर के रूप में कट रही है।

15 किलो यूरिया गोल्ड होगा 20 किलो पारंपरिक यूरिया के बराबर
आपकी जानकारी के लिए बतादे सल्फर कोटेड यूरिया से नाइट्रोजन धीरे-धीरे रिलीज होती है। यूरिया गोल्ड में ह्यूमिक एसिड मिलाने से उर्वरक के रूप में इसका जीवनकाल बढ़ जाता है। यह न सिर्फ मौजूदा यूरिया का अच्छा विकल्प है, बल्कि इससे जमीन में उर्वरक का उपयोग भी घटेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 किलो यूरिया गोल्ड 20 किलो पारंपरिक यूरिया के बराबर फायदा देता है। इससे यह किसानों के लिए अधिक किफायती और प्रभावी विकल्प बनेगा।
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उन्होंने बताया कि हमें ऐसा लगा था कि खेती से होने वाला नुकसान यूरिया के उपयोग से मुनाफे में बदल जाएगा। हुआ भी ऐसा ही। पैदावार बढ़ने से हम खुश थे। हालांकि शुरू में हम डर भी रहे थे कि यूरिया के इस्तेमाल से कहीं हमारी फसल ही चौपट न हो जाए। हमने डरते-डरते पहली बार 1967 में एक एकड़ में केवल चार किलो यूरिया डाला। जब फसल तैयार हुई तो हमें अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ। क्योंकि पहली बार हम देख रहे थे कि गेहूं की उपज हमें तीन गुना अधिक मिली।
यूरिया गोल्ड पर मिलेंगी सरकार की तरफ से सब्सिडी
जानकारी के मुताबिक सरकार यूरिया गोल्ड से जुड़े विभिन्न इश्यूज को एड्रेस करने के लिए एक उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति के गठन पर विचार कर रही है। जून में मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई थी। यह समिति यूरिया गोल्ड के लिए मूल्य निर्धारण और सब्सिडी के नियमों पर महत्वपूर्ण निर्णय लेगी। यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि किसानों को रबी सीजन के लिए यूरिया गोल्ड समय पर उपलब्ध हो। सरकार मौजूदा यूरिया की बोरी पर किसानों को भारी सब्सिडी दे रही है। इस समय यूरिया की एक बोरी पर करीब 2000 रुपये की सब्सिडी है।

हम सभी को यकीन नहीं हुआ कि यह कौन सा चमत्कार है। मेरे खेतों में बढ़ी पैदावार को देख गांव के अन्य किसानों ने भी अगले साल यानी 1968 में अपने-अपने खेतों में सहकारी समितियों से मिलने वाला यूरिया डाला और वे भी अपनी-अपनी फसल देखकर गदगद थे। आखिर तीन गुना ज्यादा फसल पाकर कौन किसान होगा जो खुशी से फूला नहीं समाएगा।
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