वैज्ञानिकों ने लायी नयी सोयाबीन की वैरायटी
Soyabean kheti: ज्ञात हो कि कृषि वैज्ञानिकों के अथक प्रयास की वजह से आज किसानों को एक नई सोयाबीन की वैरायटी मिली है। इस बार आईटी का नाम आरवीएसएम 1135 है। सोयाबीन की इस खास वैरायटी की कीमत अन्य सोयाबीन की अपेक्षा ज्यादा है। साथ ही इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा है। इसीलिए किसानों को या कम लागत पर ज्यादा उपज देता है।
जे एस 9560 बनेगी किसानो की मनपसंद वैराइटी
Soyabean kheti: सोयाबीन का जे एस 9560 किसानों की सबसे पसंदीदा किस्म थी। कृषि वैज्ञानिक को द्वारा ही बताया जा रहा है कि अब आरवीएसएम 1135 ने जेएस 9560 पीछे छोड़ दिया है। अब किसानों की बेहतरीन पसंद के रूप में आरवीएसएम 1135 जाना जा रहा है।

आर. वी. एस. एम. 1135 सोयाबीन वैरायटी में क्या है खास
Soyabean kheti: कृषि वैज्ञानिकों की माने तो आरवीएसएम 1135 कम समय में पकने वाला सोयाबीन का बेहतरीन बीज है। साथ ही इसमें अन्य कई खूबियों पाई जाती हैं। मध्य प्रदेश के जलवायु स्थिति को देखते हुए इसे विकसित किया गया है। यह नई वैरायटी उच्च गुणवत्ता के साथ अधिक पैदावार देने वाली बताई गई है। कहा गया है कि आरवीएसएम 1135 में रोग प्रतिरोधक क्षमता जबरदस्त है। कीटों का प्रभाव इस पर नहीं पड़ता।
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Soyabean kheti: सोयाबीन की किस्मे कम समय में देगी अधिक पैदावार,किसानो को बढ़िया ऑप्शन,
सोयाबीन का यह बीज कहां विकसित हुआ है
Soyabean kheti: जानकारी के अनुसार राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक वीके तिवारी तथा आर एस रामगिरी के अथक प्रयास के बाद आरवीएसएम 1135 को विकसित किया गया था। वही आरवीएसएम 1135 के संबंध में बताया गया है कि पूर्व में आरवीएसएम 35 का किसान उपयोग कर चुके हैं। आज वैज्ञानिक इसे और विकसित कर दिए हैं। आरवीएसएम 1135 इसी का विकसित किया हुआ विशेष बीज है।
MP में बोई जाने वाली मुख्या 10 किस्में
सोयाबीन जे एस 20-34
सोयाबीन जवाहर जेएस 20-69
सोयाबीन जेएस 20-98
सोयाबीन आर.वी.एस.-18
सोयाबीन आर.वी.एस-24
सोयाबीन आर वी एस एम 11-35
सोयाबीन एम सी एस 1407
सोयाबीन JS-9305 किस्म
सोयाबीन JS-2172
सोयाबीन आरवीएस 2018 किस्म
Soyabean kheti: देश के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की दो खास किस्में तैयार की है. किसान अगर इन्हें खेत में लगाते हैं तो आसानी से लखपति बन जाएंगे. सबसे खास बात है कि इनके पौधे कीट प्रतिरोधी हैं और पैदावार काफी कम समय में तैयार हो जाएगी. सोयाबीन की पारंपरिक खेती देश के कुछ ही इलाकों में होती रही है, लेकिन बढ़ती मांग और जरूरतों को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों ने इन किस्मों को तैयार किया है. इन्हें देश के अन्य इलाकों में भी उगाया जा सकता है.

Soyabean kheti: सोयाबीन की स्वर्ण वसुंधरा किस्म प्रोटीन और विटामिन से भरपूर है. इसका लाभ किसानों को मिलता है और वे प्रोसेसिंग के जरिए दही, गुलाबजामून, आइसक्रीम और पनीर बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. सोयाबीन के इस बीज का किसान बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं और उनकी आय काफी बढ़ गई है. स्वर्ण वसुंधरा सोयाबीन की एक एकड़ खेती में लागत 30 हजार रुपए है जबकि लाभ 2 लाख 70 हजार रुपए होता है.