Shocking News: उनके पिता अर्जुन, जब सुभद्रा को चक्रव्यूह भेदकर बाहर निकलने का तरीक़ा बता रहे थे, तो सुभद्रा सो गईं थी. इसलिए अभिमन्यु चक्रव्यूह में घुसने का तरीक़ा तो सीख गए, मगर उससे निकलने का नहीं. आख़िर में अभिमन्यु की मौत चक्रव्यूह में घिरकर हुबहुत से लोग इस क़िस्से पर यक़ीन करते हैं. मगर, बहुत से इसे पौराणिक गल्पकथा मानकर गंभीरता से नहीं लेते. पर क्या वाक़ई में इंसान, मां के गर्भ में रहते हुए बहुत सी बातें सीखता है?
वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब हां में देते हैं. खान-पान, स्वाद, आवाज़, ज़बान जैसी चीज़ें सीखने की बुनियाद हमारे अंदर तभी पड़ गई थीं, जब हम मां के पेट में पल रहे थे.गर्भवती महिलाओं को अक्सर नसीहतें मिलती हैं कि ज़्यादा मसालेदार चीज़ें न खाओ. ये न खाओ, वो न पियो. ऐसा न करो, वैसा न करो. वरना बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा.
Shocking News: इसमें कोई शक नहीं कि मोबाइल फोन जो अब स्मार्टफोन बन चुका है हमारी जिंदगी का ऐसा अहम हिस्सा बन चुका है जिसे हम अपनी जिंदगी से अब अलग नहीं कर सकते। मोबाइल के बिना अपनी लाइफ की कल्पना करना भी शायद मुश्किल ही लगे।
टॉडलर्स यानी छोटे बच्चों से लेकर टीनएजर्स और बुजुर्गों तक… हर किसी के हाथ में स्मार्टफोन रहता है और बड़ी संख्या में लोगों की इसकी लत भी लग चुकी है। इस लिस्ट में गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। लेकिन मोबाइल के एक्सेस यूज का न सिर्फ आप पर बल्कि गर्भ के अंदर पल रहे बच्चे पर भी बुरा असर पड़ता है। कैसे, यहां जानें
Shocking News:क्या गर्भ में पल रहा बच्चा सुन सकता है बाहर की आवाजें,जानिए विस्तार से
इसलिए प्रेग्नेंट लेडी ध्यान से करे बातचीत

बच्चे में बिहेवियर से जुड़ी दिक्कतें
Shocking News: मोबाइल फोन की स्क्रीन और उससे निकल रही ब्राइट ब्लू लाइट को लंबे समय तक देखते रहने से न सिर्फ आपकी आंखों को नुकसान होता है। बल्कि हाल ही में हुई एक स्टडी की मानें तो अगर प्रेग्नेंट महिला लंबे समय तक मोबाइल फोन यूज करे तो होने वाले बच्चे में बिहेवियर से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। वैज्ञानिकों ने डेनमार्क में इसको लेकर एक स्टडी की जिसमें प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद मोबाइल फोन यूज करने का बच्चे के व्यवहार और इससे जुड़ी समस्याओं के बीच क्या लिंक ये जानने की कोशिश की गई।

हाइपरऐक्टिविटी और बिहेवियरल इशू का शिकार
Shocking News: इस स्टडी में ऐसी महिलाओं को शामिल किया गया जिनके बच्चे 7 साल के थे। स्टडी के दौरान महिलाओं को एक क्वेश्चेनेयर दिया गया था जिसमें उनके बच्चे की हेल्थ और बिहेवियर के साथ-साथ वे खुद फोन का कितना इस्तेमाल करती हैं, इससे जुड़े सवालों के जवाब देने थे। स्टडी के आखिर में यह बात सामने आयी कि जिन महिलाओं के बच्चे प्रसव से पूर्व और प्रसव के बाद स्मार्टफोन के प्रति एक्सपोज थे यानी जिन मांओं ने प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के बाद भी मोबाइल यूज ज्यादा किया उनके बच्चे हाइपरऐक्टिविटी और बिहेवियरल इशूज का शिकार थे।