श्रावण शिवरात्रि पर 26 जुलाई को शाम 6:45 बजे से जलाभिषेक शुरू होगा। शिवरात्रि में चतुर्दशी तिथि का महत्व होता है। जिस समय चतुर्दशी तिथि शुरू होती है उसी समय भगवान शंकर का जलाभिषेक शुरू होता है।

श्रावण शिवरात्रि पर 26 जुलाई को शाम 6:45 बजे से जलाभिषेक शुरू होगा। शिवरात्रि में चतुर्दशी तिथि का महत्व होता है। जिस समय चतुर्दशी तिथि शुरू होती है उसी समय भगवान शंकर का जलाभिषेक शुरू होता है।
आचार्य राकेश शुक्ल ने बताया कि मंगलवार शाम को 6:45 पर चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ होगा। इसी समय से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाएगा। भगवान शिव का जलाभिषेक दो दिन होगा। 27 जुलाई को पूरे दिन जलाभिषेक किया जाएगा। चतुर्दशी तिथि 27 जुलाई को रात 9:10 पर समाप्त होगी। शिवरात्रि में चार पहर की पूजा विशेष फलदाई होती है। चार पहर की पूजा करने से चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार प्रथम पहर की पूजा का समय शाम छह बजे से रात नौ बजे तक होगा। इस दौरान भगवान शंकर का दूध से अभिषेक करना चाहिए। द्वितीय पहर की पूजा का रात नौ से बारह बजे तक होगी। जिसमें पूजा में दही से अभिषेक करना चाहिए।
तृतीय पहर की पूजा रात बारह बजे से तीन बजे तक होगी। इसमें घी से अभिषेक किया जाएगा। चतुर पहर की पूजा का रात तीन बजे से सुबह छह बजे तक होगी। इसमें शिव का शहद से अभिषेक करना चाहिए। शिवरात्रि का व्रत 26 जुलाई को किया जाएगा और 27 जुलाई को व्रत का पारण समापन सुबह 5:35 बजे से दोपहर 3:50 बजे के बीच किया जाएगा। इस बार जलाभिषेक में भद्रा बाधक नहीं बनेगी।
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