मध्यप्रदेश के तीन संतान वाले शिक्षकों की सेवा समाप्ति ,जानिए क्यों
विधानसभा में सरकारी कर्मचारियों की तीसरी संतान पैदा होने के बारे में प्रश्न पूछा गया था।विभाग की इस कार्रवाई के बाद कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।
भोपाल। मध्यप्रदेश के तीन संतान वाले शिक्षकों की सेवा समाप्ति की कार्यवाही शुरू हो गई है। इस संबंध में 955 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। 160 शिक्षकों ने तीसरी संतान पैदा होने कारण बताया है। अभी तक सिर्फ 160 ने जवाब पेश किया है।इसमें नौकरी ज्वाइन करने के दौरान नियम ना होने, टीटी ऑपरेशन फेल होने और और किसी ने तीन बच्चे होने पर एक बच्चा स्वजनों को गोद देने का तर्क दिया गया है। गौरतलब है कि विधानसभा में सरकारी कर्मचारियों की तीसरी संतान पैदा होने के बारे में प्रश्न पूछा गया था।विभाग की इस कार्रवाई के बाद कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है।

जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं मिलता है तो सेवा समाप्ति के लिए प्रकरण भेज दिया जाएगा।ताजा मामला विदिशा जिले का है। यहां के जिला शिक्षा अधिकारी अतुल मोदगिल ने विधानसभा में उठे प्रश्न के बाद जिले के शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस भेजा है। मोदगिल ने कहा है कि कई प्रकार के जवाब आ रहे हैं, जिसमें दूसरी संतान की चाह में किसी को जुड़वा बच्चे हो गए, किसी की नसबंदी फेल हो गई। इनके जवाब का सत्यापन किया जाएगा। जवाबों के सत्यापन के लिए एक समिति बनाई है, जो तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
क्या कहता है नियम
मध्य प्रदेश में पूर्व से जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू है। नियम के मुताबिक यदि 26 जनवरी 2001 के बाद किसी कर्मचारी को तीसरी संतान होती है तो उसकी सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे सभी उम्मीदवार जिन्होंने परीक्षा पास करके अपनी योग्यता प्रमाणित कर दी है, यदि तीन संतानों के माता-पिता हैं तो नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे। यह नियम सिविल सेवा (सेवाओं की सामान्य स्थिति) के साथ ही यह नियम उच्चतर न्यायिक सेवाओं पर भी लागू होता है।
ये भी पढ़े-Free Scooty Yojana 2022: PM Narendra Modi Scooty Yojana, जानिए कैसे करे आवेदन ?
तीसरी संतान मामले में सुप्रीम कोर्ट
मध्य प्रदेश के अलावा राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि में भी यह कानून लागू है। सभी कानून राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए हैं। कुछ राज्यों में एक संतान वाले कर्मचारी को अतिरिक्त लाभ दिए जाते हैं। इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थी। कुछ याचिकाओं में नियमों को चुनौती दी गई और कुछ याचिकाओं में निवेदन किया गया था कि पूरे देश के लिए एक कानून होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट हुआ कि संविधान के 42 वें संशोधन सन 1976 में निर्धारित किया गया है कि सभी राज्य सरकारें जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिस्थिति के अनुसार कानून बना सकती हैं।

Automobile news: केबिन में खूब सारी जगह के साथ लॉन्च हुई Hyundai Creta, 3 कतार वाली बैठक व्यवस्था
Lifestyle news: इन 5 नेचुरल तरीकों से कम होगा Cholesterol का लेवल, आज से ही बदलें आदत
Skin Care Tips: सुबह उठकर रोजाना करें ये 4 काम, चेहरे पर लौट आएगी चमक, जानिए कैसे?
Mosquito Killer Machines: गर्मी में मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए आ गई है, ये गजब की धमाकेदार मशीन
Lifestyle news: White Hair हो जाएंगे काले, घने और मुलायम, बस इस हरे फल की पत्तियों को करें यूज
1 अप्रैल से लागू होगा बदलाव : GST, TAX, Home Loan, PF, PAN, Mutual fund जिन्हें जानना जरूरी…