Mahashivratri 2022: क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि,आइये आज जानते है

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महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के पर्व की देशभर में धूम शुरू हो गई है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि को बहुत बड़ा दिन माना जाता है, इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान से बाबा महादेव की पूजा-अर्चना करते हैं. शिवरात्रि फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है. इस बार भी देशभर में महाशिवरात्रि पर्व को धूमधाम से मनाया जा रहा है. 

पूजा का शुभ मुहूर्त
वैसे तो महाशिवरात्रि के दिन दिनभर पूजा का मुहूर्त होता है. इस बार महाशिवरात्रि का मुहूर्त 1 मार्च को मध्य रात्रि 12:08 बजे से मध्यरात्रि 12:58 बजे तक रहेगा. इसी प्रकार महाशिवरात्रि के दिन का शुभ मुहूर्त (shubh muhurta) दोपहर 12:10 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक है.  शाम 6.21 से रात 9 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. बताया जाता है कि शुभ मुहूर्त में पूजा करने से भगवान भोलेनाथ भक्तों की सभी मनोकमानाएं पूरी करते हैं. इस दिन भक्त व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक दिनभर होता है.

क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि
शास्त्रों की माने तों महाशिवरात्रि की रात ही भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे. जिसके बाद से हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है. कहा ये भी जाता है कि मां पार्वती सती का पुनर्जन्म है. मां पार्वती शिवजी को पति के रूप में प्राप्त करना चाहती थी. इसके लिए उन्होंने शिवजी को अपना बनाने के लिए कई जत्न किए थे. लेकिन भोलेनाथ नहीं प्रसन्न हुए. जिसके बाद मां पार्वती ने त्रियुगी नारायण से 5 किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन साधना की थी और शिवजी को मोह लिया था. जिसके बाद इस दिन शिवजी और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए कई कुंवारी लड़कियां शिवजी जैसे वर की मनोकामना के लिए इस दिन व्रत करती हैं. 

ऐसे में देशभर में महाशिवरात्रि को भगवान शंकर के विवाह के रूप में मनाया जाता है. देशभर के शिवमंदिरों में भगवान शंकर को दूल्हा के रूप में सजाकर उनकी पूजा की जाती है. इसके अलावा शिव विवाह, भजन के कार्यक्रम महाशिवरात्री के दिन दिनभर चलते हैं. 

इस तरह करें भगवान भोलेनाथ की पूजा 
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव दूध, गंगाजल, शहद, दही या घी से अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. इस दिन सुबह, दोपहर, शाम और रात इन चारों प्रहर में रुद्राष्टाध्यायी पाठ के साथ भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं. भक्त रुद्राष्टाध्यायी का पाठ या केवल ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करते हुए भोलेनाथ का अभिषेक कर सकते हैं. 

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