सिंगरौली एसी कमरे में बैठकर कागजो में हो रहा स्वच्छता जागरूकता,आयुक्त बने अंजान
अनोखी आवाज़ सिंगरौली। नगर निगम के अधिकारी न जाने कब अपनी गंदी हरकतों से बाज आएंगे..? हालात कुछ यूं है कि कमरों में लगी एसी छोड़ने को तैयार नही है सिर्फ कागजो में स्वच्छता अभियान चला रहे है..भगवान जाने ये अंधेर गर्दी कब तक चलेगी.. और बताया जा रहा है कि व्हीपी उपाध्याय डिवाइन कंपनी पर इन दिनों कुछ ज्यादा ही मेहरबान है लेकिन चौकने वाली बात तो यह है कि आयुक्त महोदय सब जानते हुए भी मुक़दर्शक की भूमिका में है। नगर पालिक निगम सिंगरौली द्वारा क्षेत्र में स्वच्छता के तमाम दावे तो किये जा रहे हैं परन्तु शहर के मुख्य मार्गों को यदि छोड़ दें तो समूचा नगर निगम क्षेत्र गंदगी से पटा हुआ है। लोग खुले में कचरा फेंक रहे हैं। गीला सूखा कचरा को अलग-अलग करने का वर्षों से अभियान चलाया जा रहा है परन्तु आज भी 80 से 90 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जिन्हें अब तक मालूम ही नहीं है कि गीला कचरा कहां रखें और सूखा कचरा कहां रखें। नगर पालिक निगम सिंगरौली में स्वच्छता की जागरूकता हेतु डिवाईन वेस्ट मैनेजमेंट को जिम्मेदारी सौंपी गयी है जिसके द्वारा अब तक सिर्फ खानापूर्ति की गयी है। सूत्र बताते है कि नगर पालिक निगम सिंगरौली द्वारा स्वच्छता जागरूकता हेतु उक्त कंपनी को करोड़ो रूपये दिये जाते हैं परन्तु कंपनी मात्र अधिकारियों को गुमराह कर बंद कमरे में रिपोर्ट तैयार कर रही है। डिवाइन कंपनी को नगर पालिक निगम सिंगरौली द्वारा लगातार स्वच्छता जागरूकता की जिम्मेदारी दी जा रही है जिसका परिणाम है कि कंपनी अब काम करना नहीं चाहती।
डिवाइन कंपनी द्वारा अधिकारियों से साठ-गांठ बैठाकर खुलेआम अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर मनमाने तरीके से कार्य कर रही है। शहरवासियों का कहना है कि स्वच्छता की मूलभूत जानकारी हम तक नहीं पहुंच पा रही है ना ही स्वच्छता के प्रति किसी के व्यवहार में बदलाव ही दिख पा रहा है। चूंकि सिंगरौली शहर स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में भाग ले रहा है और प्रचार-प्रसार की इसमें विशेष भूमिका होती है लेकिन लगातार टेंडर मिलते रहने व आला अधिकारियों से साठ-गांठ बैठा लेना ही ठेकेदारों के लिए पर्याप्त होता है। शहर को रैंकिंग में विशेष स्थान पाने के लिए शहर के प्रत्येक नागरिकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना आवश्यक है तब जाकर लोगों में जागरूकता आयेगी और परिणाम बेहतर हो सकते हैं। परन्तु स्वच्छता जागरूकता का कार्य कर रही डिवाइन कंपनी जिस तरह से गैर जिम्मेदाराना तरीके से कार्य कर रही है उससे तो यही लगता है कि नगर पालिक निगम सिंगरौली क्षेत्र में यदि वास्तविक रूप से देखा जाये तो स्वच्छता में माइनस में नंबर आयेंगे..?

उपाध्याय मेहरबान…? आयुक्त अनजान..
वाह ! रे नगर निगम धन्य है तेरे अधिकारी कर्मचारी। स्वच्छता जागरूकता के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा रहे है और परिणाम की बात करे तो शून्य है। ये जनता का पैसा इस तरह से एनजीओ पर उड़ा रहे है मानो कही गिरा हुआ पैसा मिला हो। खैर दोष सिर्फ नगर निगम के आला अधिकारियों का ही नही है दोष तो जनप्रतिनिधियों का भी है जो सब जानते हुए भी खामोश है। नेताओ के खामोशी से ऐसे लोगो को और बल मिलता है लिहाजा समय की तलाश में बैठे अधिकारी दोनों हाथ से लूटना आरम्भ कर देते है। जानकार बताते है कि डिवाइन नाम की एक एनजीओ है जिसका काम स्वच्छता जागरूकता है लेकिन यह एनजीओ कहा जागरूकता कर रही है भगवान जाने..? स्वच्छता के नोडल अधिकारी व्हीपी उपाध्याय है जिनकी भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। बड़ा सवाल यह है कि कुम्भकर्णी नींद में खर्राटे ले रहे सिंगरौली वासी कब नींद से उठेंगे और इस तरह के भ्रष्ट्राचार का विरोध करेंगे..?