Internet :अक्सर ऐसा देखा जाता है कि भारत में जब भी कहीं उपद्रव हिस्सा है दंगा होता है तो सबसे पहले सरकार इंटरनेट सेवा को बंद कर देती है। इंटरनेट सेवा के माध्यम से कई तरह के दंगा ही अलग-अलग पोस्ट फैलाते हैं जिससे देश में दंगा और भड़कती है जिस को रोकने के लिए सरकार इंटरनेट सेवा ही बंद कर देती है।
रांची में शुक्रवार 10 जून को भड़के उपद्रव के कारण कई घंटे तक इंटरनेट सेवाएं बंद (Internet Break Down) कर दी गई थी। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन्स के रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में सबसे ज्यादा बार इंटरनेट बंद करने वाले देशों में आगे रहा है।

लेकिन क्या आपको पता है कि इंटरनेट बंद करने की जरूरत क्यों पड़ जाती है? Internet बंद करने के बाद क्या यूजर्स को कोई मुआवजा मिलता है?
Internet :अशांति फैलाने वालों के खिलाफ होती है कार्रवाई-
हाल ही में नूपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद पर दिए विवादित बयान के बाद कई राज्यों में उपद्रव हुए। झारखंड की राजधानी रांची में उपद्रव बढ़ा तो 33 घंटे इंटरनेट बंद कर दिया गया।
आपको बता दें कि जब जब देश में हिंसा भड़कती है तब तक देश में इंटरनेट को बंद कर दिया जाता है क्योंकि इससे हिंसा और ज्यादा बढ़ने का संभावना होता है।
Internet :इंटरनेट सेवाएं बंद करने का कानून-
एक टेलीकॉ़म कंपनी के रिजनल मैनेजर दुर्गेश श्रीवास्तव ने जानकरी दी कि सरकार एक कानून के तहत इंटरनेट को बंद करती है। टेलीकॉम कंपनी को इसके बारे में पहले ही जानकारी दी जाती है।
TRAI भी इसके पक्ष में है। सरकार पब्लिक इमरजेंसी और पब्लिक सेफ्टी के लिए इंटरनेट को बंद कर सकती है। वर्ष 2017 में इस नियम को पारित किया गया था। इस नियम में है कि किसी भी राज्य में सरकार इंटरनेट शटडाउन कर सकती है।
केंद्र सरकार भी इसी कानून के तहत इंटरनेट बंद करती है। उन्होंने जानकारी दी कि डीएम, एसडीएम भी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर 1973 सेक्शन 144 के तहत सेवाएं बंद कर सकते हैं।
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