Durga puja 2022: कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद इस बार पटना में दुर्गापूजा भव्य तरीके से होगी।

शहर में दुर्गापूजा समितियों की तरफ से पंडाल-मूर्ति निर्माण, साज-सज्जा का काम शुरू हो गया है। दो साल के बाद डाकबंगला चौराहे
कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद इस बार पटना में दुर्गापूजा भव्य तरीके से होगी। शहर में दुर्गापूजा समितियों की तरफ से पंडाल-मूर्ति निर्माण, साज-सज्जा का काम शुरू हो गया है। दो साल के बाद डाकबंगला चौराहे पर इस वर्ष लगभग साढ़े तीन हजार वर्ग फीट में दुर्गापूजा पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है। इसकी ऊंचाई 80 से 85 फीट तक और चौड़ाई 40 से 45 फीट के बीच रहेगी। पंडाल निर्माण के मुख्य कलाकार शुभेंदू भुइयां है। मेदिनीपुर पश्चिम बंगाल में पंडाल निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है।
मां की आशीर्वादी मुद्रा में प्रतिमा बीते 58 सालों से डाकबंगला चौराहे पर माता के आशीर्वादी मुद्रा की पूजा हो रही है। यहां प्रतिमा निर्माण का कार्य 15 अगस्त के बाद से ही शुरू हो चुका है। कोलकाता के काटुआ (वीरभूम) से मूर्तिकार जगन्नाथ पाल अपनी 11 सदस्यीय टीम के साथ बीते 30 साल से यहां आकर प्रतिमा निर्माण कर रहे हैं। इनके पहले कोलकाता के तीनकड़ी पाल मूर्तिकार हुआ करते थे। चौराहे पर मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, गणेश और कार्तिक के अलावा दो राक्षस की मूर्तियां बनाई जाती हैं। इस वर्ष भी श्रद्धालु माता के आशीर्वादी मुद्रा का ही दर्शन करेंगे। डाकबंगला चौराहे पर बनारस पद्धति से पूजा होती है। पहले पंडित गंगाधर झा पूजा कराते थे। इनके बाद बीते 10 सालों से मिथिलांचल के आचार्य पुरुषोत्तम पूजा करा रहे हैं।
डाकबंगला चौराहा पर बीते 58 वर्षों से मां दुर्गा की पूजा हो रही है। वर्ष 1964 में दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई थी। इस समय पटना के लोग दुर्गापूजा घूमने के लिए पटना सिटी जाते थे। जयसन बरूआ, रमेश चन्द्र प्रसाद, मगधेश कुमार आदि ने छोटे स्तर पर डाकबंगला चौराहे पर मूर्ति स्थापना की। इस समय लोग अपने-अपने घरों से चादर और साड़ी लाकर बहुत छोटा पंडाल बनाते थे। साल-दर साल यहां पूजा का आकार बढ़ता गया। 1980 में संजीव प्रसाद टोनी नवयुवक संघ दुर्गा पूजा समिति डाकबंगला चौराहे के अध्यक्ष बने। इसके बाद पूजा समिति ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सौ-डेढ़ सौ रुपये से शुरू हुआ पूजा का बजट अब बढ़कर 50 लाख रुपये सालाना को पार कर गया है। अभी पूजा आयोजन समिति में तीसरी पीढ़ी योगदान दे रही है।
शहर में जुटती है सबसे अधिक भीड़
दुर्गापूजा के दौरान राजधानी में सबसे अधिक भीड़ डाकबंगला चौराहे पर जुटती है। सप्तमी से लेकर नवमी देर रात तक श्रद्धालुओं के दर्शन का तांता लगा रहता है। पूजा समिति सदस्यों का दावा है कि तीन दिनों में 20 लाख से ज्यादा श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए डाकबंगला पहुंचते हैं।
आयोजक समिति में शामिल
अमित बरूआ बताते हैं कि पटना में केवल बांस बांधने का काम होगा। बना-बनाया पंडाल का खांचा पश्चिम बंगाल से लाकर सेट किया जाना है। लाइटिंग का फोकस बच्चों पर रहेगा। चंदन नगर से लाइटिंग कलाकार मूविंग लाइटिंग के कई दृश्यों को चौराहे पर जीवंत करेंगे। बताते चलें कि डाकबंगला चौराहे पर बालाजी तिरुपति, पंच शिवलिंग मंदिर गुवाहाटी, मीनाक्षी मंदिर मदुरै, बेलूर मठ पश्चिम बंगाल, मैसूर महल आदि के तर्ज पर पंडालों का निर्माण पहले हो चुका है।

बनता है प्रतिदिन तीन टन प्रसाद
सप्तमी में माता को घी के हलवा का भोग, अष्टमी को खीर-पूड़ी और नवमी को खिचड़ी का भोग लगता है। आयोजन समिति से जुड़े पुष्परंजन कुमार कहते हैं कि मां का भोग लगने के बाद प्रसाद वितरण होता है। सप्तमी से लेकर नवमी तक हर दिन तीन टन से ज्यादा भोग का वितरण होता है। हलवा बनाने में ही साढ़े 11 सौ किलोग्राम शुद्ध घी की खपत होती है। प्रसाद में काजू बर्फी, घी से बने गाजा और घी से तैयार लड्डू का वितरण बड़े पैमाने पर होता है।
यह है पूजा समिति में
अध्यक्ष संजीव प्रसाद टोनी
उपाध्यक्ष राजन कुमार यादव
महासचिव पुरुषोत्तम मिश्रा
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