आज हम आपको बतायेंगे कि भिंडी की खेती करने के लिए क्या- क्या जरुरी कदम हैं.
भिंडी । Abelmoschus esculentus (L.) Moench एक लोकप्रिय सब्जी है। सब्जियों में भिंडी का प्रमुख स्थान है जिसे लोग लेडीज फिंगर या ओकरा के नाम से भी जानते हैं। भिंडी की अगेती फसल लगाकर किसान भाई अधिक लाभ अर्जित कर सकते है। मुख्य रुप से भिंडी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवणों जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस के अतिरिक्त विटामिन ‘ए’, बी, ‘सी’, थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता है। इसमें विटामिन ए तथा सी पर्याप्त मात्रा में पाये जाते है। भिंडी के फल में आयोडीन की मात्रा अधिक होती है। भिंडी का फल कब्ज रोगी के लिए विशेष गुणकारी होता है। म. प्र. में लगभग 23500 हे. में इसकी खेती होती है। प्रदेश के सभी जिलों में इसकी खेती की जा सकती हैं। अधिक उत्पादन तथा मौसम की भिंडी की उपज प्राप्त करने के लिए संकर भिंडी की किस्मों का विकास कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किया गया हैं। ये किस्में येलो वेन मोजैक वाइरस रोग को सहन करने की अधिक क्षमता रखती हैं। इसलिए वैज्ञानिक विधि से खेती करने पर उच्च गुणवत्ता का उत्पादन कर सकते हैं।
इसके साथ ही इसकी कई प्रकार की उन्नत किस्में भी विकसित हो चुकी हैं, जिनकी खेती करके किसान भिंडी की फसल से ज्यादा से ज्यादा उपज प्राप्त कर सकते हैं. तो ऐसे में आज हम आपको बतायेंगे कि भिंडी की खेती करने के लिए क्या- क्या जरुरी कदम हैं.
जैसे- उपयुक्त जलवायु, उपयुक्त भूमि, खेत की तैयारी, उन्नत किस्में, निराई-गुड़ाई, बीज और बीजोपचार, रोग नियंत्रण, बुवाई, सिंचाई, तोड़ाई और उपज. इन सभी के बारे में आप नीचे दिए लेख में विस्तार से जान सकते हैं…

भिंडी की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate)
भिंडी की खेती (Lady Finger Cultivation) के लिए उष्ण और नम जलवायु की आवश्यकता पड़ती है. इसके बीजों के जमाव के लिए करीब 20 से 25 डिग्री सेन्टीग्रेट तापमान चाहिए होता है.
गर्मी में 42 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान इसकी फसल को काफी हद तक नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि ऐसे में इसके फूल गिरने (Flower Dropping) लगते हैं. जिस वजह से इसका सीधा असर उपज पर पड़ता है.
भिंडी की खेती करने के लिए उपयुक्त भूमि (Suitable Land)
भिंडी की खेती किसान सभी प्रकार की मिट्टी (Soil) में कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी (light loamy soil) काफी अच्छी मानी जाती है. क्योंकि इस मिट्टी में जल निकास (Drainage) काफी अच्छी तरह हो जाता है. इसके अलावा इसकी खेती के लिए भूमि में कार्बनिक तत्व (Organic matter in the soil) का होना बेहद ज़रूरी है.
इसके साथ ही इसका पी.एच.मान (PH value) लगभग 6 से 6.8 तक होना चाहिए. आपको बता दें कि किसान खेती के पहले एक बार मिट्टी की जांच (Soil Test) जरुर करवा लें. ताकि बाद में उन्हें खेती करते समय किसी प्रकार की परेशानी न हो और वे अच्छे से खेती कर सकें.
भिंडी की खेती करते समय किसान सबसे पहले खेत की 2 से 3 बार अच्छे से जुताई (Tillage) कर लें. इसके साथ ही खेत को भुरभुरा (Grind the field) करके उसपर पाटा चला लें, ताकि खेत अच्छी तरह से समतल (Plane) हो जाए.
भिंडी की खेती करने के लिए उन्नत किस्में (Improved varieties)
आजकल कृषि वैज्ञानिकों (Agriculture Scientists) द्वारा भिंडी की कई प्रकार की उन्नत किस्में (Lady Finger Varieties) विकसित हो चुकी हैं. इन किस्मों की खेती कर किसान फसल की उपज (Crop Yield) को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं. किसानों को भिंडी की किस्मों का चयन अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार ही करना चाहिए.
पूसा द्वारा विकसित भिंडी की प्रमुख किस्में (Major varieties of lady’s finger developed by Pusa)
OH517 किस्म सिजेंटा कंपनी द्वारा तैयार की जाती है.
सिंघम किस्म ननहेम कंपनी द्वारा तैयार की जाती है.
JKOH7315 किस्म JK seeds कंपनी द्वारा तैयार की जाती है.
भिंडी की खेती करने के लिए निराई-गुड़ाई (Weeding hoeing)
भिंडी की खेती करते समय किसान भाइयों को अपने खेतों को खरपतवारों से मुक्त (Free from weeds) रखना चाहिए, इसलिए इसकी फसल की बुवाई करने के करीब 15 से 20 दिनों के बाद पहली निराई-गुड़ाई (Weeding hoeing ) कर देनी चाहिए. आपको बता दें कि भिंडी के खेत में खरपतवार नियंत्रण (weed control) के लिए किसान रासायनिक उत्पादों (chemical products) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
धिका किस्म UPL कंपनी द्वारा तैयार की जाती है.
भिंडी की खेती करने के लिए बीज और बीजोपचार
भिंडी की फसल बुवाई करने के लिए 1 हेक्टेयर खेत में करीब 3 कि.ग्रा से 10 कि.ग्रा बीज की ज़रूरत पड़ती है. इसलिए ध्यान दें कि इसके बीजों को बोने से पहले करीब पानी में 24 घंटे तक डुबाकर रखें. इस तरह बीजों का अंकुरण (Germination of seeds) अच्छा होगा. इसके अलावा इसके बीजों को थायरम(Thiram) या कार्बेन्डाजिम (carbendazim) से भी उपचारित किया जा सकता है.
भिंडी की खेती करने के लिए रोग नियंत्रण
भिंडी की फसल में अधिकतर येलो मोजेक (Yellow Mosaic) यानी पीला रोग होने का खतरा काफी हद तक बना रहता है. इस रोग में फल, पत्तियां और पौधा पीला पड़ने लगता है. अगर इस रोग से फसल को समय रहते बचाना है, तो उसके लिए आवश्कयतानुसार मेलाथियान (malathion) को पानी में घोलकर खेतों में समय -समय पर छिड़कते रहें.
प्ररोह एवं फल छेदक (Shoot and fruit borer) रोग यह छोटे कीट फसल के फलों में छेद करके उनमें घुस जाते हैं. फिर धीरे -धीरे पूरे फल को खा लेता हैं. इससे बचने के लिए आप जिस भी फल, फूल और कोपलों पर ये कीट लगा हुआ है.
उसको इकट्ठा करके पूरी तरह नष्ट कर दें. ताकि उसकी वजह से बाकि फसल न ख़राब हो. अगर यह कीट ज्यादा फसल पर फ़ैल रहे हैं तो किसान भाई आवश्यकतानुसार कार्बोरिल (Carboryl) को पानी में घोलकर फसल पर छिड़क दें.
रस चूसक कीट (Sucking Pest) रोग इससे बचने के लिए आप भिंडी की फसल में मोयला, हरा तेला, सफेद मक्खी आदि कीट का प्रकोप हो सकता है, जो फसल की फूल-पत्तियों का पूरा रस चूस लेते हैं. जिस वजह से पौधों का विकास (Plant Development) रुक जाता है. इसके साथ ही पत्तियां मुरझाकर पीली पड़ने लगती हैं और कमजोर हो कर गिर जाती हैं.
भिंडी की खेती करने के लिए उपज (Crop Yield)
अगर किसान भाई भिंडी की खेती उन्नत किस्मों (Improved varieties of okra cultivation) और अच्छी देखभाल के साथ करते हैं, तो वे इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 120 से 170 क्विंटल उपज (Yield) प्राप्त कर सकते हैं. क्योंकि एक फसल की कीमत बाजार में भी अच्छी ही मिलती है.
बस ध्यान रहें कि सस्ते और जहरीले रासायनिकों का इस्तेमाल खेतों में न किया जाए. क्योंकि इससे पहले उत्पादन तो अच्छा मिल जायेगा पर इसके सेवन से लोगों की सेहत के साथ -साथ खेतों की मिटटी पर भी इसका काफी असर पड़ेगा. इसलिए जितना हो सके जैविक उत्पाद (Organic Product) का इस्तेमाल करें.
भिंडी की खेती करने के लिए बुवाई
भिंडी की बुवाई (Sowing of ladyfinger) किसान भाइयों को कतारों में करनी चाहिए. इसके लिए ध्यान दें कि खेत में कतारों की दूरी करीब 25 से 30 से.मी तक होनी चाहिए. इसके साथ ही पौधों की दूरी भी करीब 15 से 20 से.मी तक की रखनी चाहिए.
भिंडी की खेती करने के लिए सिंचाई
गर्मियों के मौसम में भिंडी की फसल सिंचाई (Irrigation of ladyfinger) लगभग 5 से 7 दिनों के अंतराल पर करते रहना चाहिए. अगर खेत में नमी न हो, तो फसल की बुवाई (Sowing) से पहले भी आप एक बार सिंचाई कर सकते हैं.
भिंडी की फसल तोड़ाई
भिंडी के फलों की तुड़ाई (okra plucking) उसकी किस्म पर निर्भर करती है. वैसे इसकी तुड़ाई लगभग 45 से 60 दिनों में शुरू कर देनी चाहिए. ध्यान दें कि इसकी 4 से 5 दिनों के अंतराल पर रोजाना तुड़ाई करें.
किसान कॉल सेंटर टोल फ्री नंबर (Toll Free Number)
अगर आपकी भिंडी की खेती से सम्बंधित किसी प्रकार की उलझन या कोई भी प्रश्न है तो अब आपको दूसरों के पास जाने की कोई जरूरत नहीं. आप देश के किसी भी कोने में बैठे हुए भारत सरकार (Indian Government) द्वारा संचालित किसान कॉल सेंटर (Kisan Call Centre Toll Free Number) के टोल फ्री नंबर “1551 या 1800-180-1551” पर फोन करके इससे जुड़ी समस्या का समाधान अपनी स्थानीय भाषा में पा सकता हैं.
ऐसी ही फसलों की खेती सम्बंधित लेटेस्ट जानकारियां पाने के लिए आप हमारी कृषि जागरण हिंदी वेबसाइट विजिट कर सकते हैं, अगर आपका खेती, मशीनरी या कृषि सरकारी योजना सम्बंधित कोई सवाल या समस्या है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में मेसेज करके पूछ सकते हैं…
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