भारतीय सेना और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान, जिन्हें दुर्गम स्थलों पर विपरित परिस्थितियों के बीच ड्यूटी करनी पड़ती है ।

अनोखी आवाज़:
अधिकारी दें स्नेह और सम्मान
मध्यप्रदेश पुलिस ने खासतौर पर अपने थाना प्रभारियों से कहा है कि इन बलों के जवान, रिटायर्ड कर्मी व अधिकारी तथा उनके परिवार के सदस्य किसी शासकीय कार्य के लिए कार्यालय में पहुंचते हैं तो उनके साथ स्नेह और सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए। उनके कार्यों का अविलंब निपटारा करें। यह ध्यान रखें कि उन्हें किसी एक काम के लिए बार-बार पुलिस या दूसरे विभाग के पास न आना पड़े। इस संबंध में कई दूसरे अर्धसैनिकों बलों के मुख्यालयों द्वारा भी विभिन्न राज्यों के जिला प्रशासन के पास जवान का फेवर करने के लिए डीओ लेटर आते रहते हैं।
100 दिन परिवार के साथ योजना पर चल रहा है काम
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में तो कई वर्षों से जवानों को सौ दिन अपने परिवार के साथ रहने की सुविधा प्रदान करने का मुद्दा लंबित है। यह योजना किन्हीं कारणों से लागू नहीं हो पा रही है। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय एवं विभिन्न बलों के महानिदेशक आए दिन यह बयान देते रहते हैं कि एक वर्ष में जवान सौ दिन तक अपने परिवार के साथ रह सकें, इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है। सीआरपीएफ के पूर्व डीजी डॉ. एपी महेश्वरी ने भी ऐसे मामलों में जिले के डीसी और एसपी को डीओ लेटर लिखने की बात कही थी। उनका कहना था कि अपने परिवार के स्थानीय मामलों में ये जवान छुट्टी लेकर जाते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन से अपेक्षित सहयोग न मिल पाने के कारण इनकी छुट्टियां खत्म हो जाती हैं और काम भी नहीं हो पाता। इससे जवान, तनाव में रहने लगते हैं।
थल सेना, वायु सेना, नौसेना एवं केंद्रीय सशस्त्र बलों जैसे बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ व दूसरे बलों के जवान विषम और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में ड्यूटी देते हैं। ये जवान, अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सेवा एवं सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। अपने घर परिवार से हजारों किलोमीटर दूर जोखिम भरे इलाकों और खराब मौसम में भी देश की सुरक्षा में ये जवान दिन-रात लगे रहते हैं। इन जवानों को साल में केवल सीमित समय के लिए अपने घर पहुंच कर, परिवार की लंबित घरेलू समस्याओं को देखने का अवसर मिल पाता है।