Tuesday, September 26, 2023
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सिंगरौली: पटवारी के साथ अपना दल और भाजपा का गठबंधन..?

आज तो मैं खरी-खरी कहता हूं,बुरा नही लगना चाहिए क्योंकि मैं जो देखता और सुनता हूं वही कहता हूं,यदि फिर भी बुरा लगता है तो मैं क्या करूँ..?

नीरज द्विवेदी “राज”
अनोखी आवाज़ @खरी-खरी

 यूं तो आपने राजनीतिक पार्टियो को आपस मे जोड़-तोड़कर सरकार बनाने की बात सुने और देखे होंगे। लेकिन सिंगरौली में तो कुछ और ही देखने को मिल रहा है।सरकारी कर्मचारी और राजनीतिक पार्टियों में गठबंधन। जी हाँ सुनने में थोड़ा जरूर अटपटा लगा होगा लेकिन यह अटल सत्य है। इन दिनों जिले का एक पटवारी अपनी लूट-खसोट के कारण सुर्ख़ियो में है,कई तरह के आरोपो से घिरे पटवारी ने खुद को बचाने के लिए पहले तो राजनीतिक संरक्षण लिया और इससे भी बात नही बनी तो दो दलों के साथ गठबंधन कर लिया। लोग बताते है कि चर्चित पटवारी ने राजनीतिक पार्टी अपना दल के एक खादीधारी और भाजपा के एक खादीधारी के साथ बढ़िया ताल मेल बैठा लिया है। तथाकथित भाजपा नेता व अपना दल नेता सुबह से शाम तक पटवारी के कार्यालय में जमावड़ा लगाकर बैठे रहते हैं। हालांकि आम जनता इन्हें नेता नही बल्कि दलाल के रूप में ज्यादा अच्छे से जानती और पहचानती है इतना ही नही राजनीतिक में इनका कोई वर्चस्व नही है। लेकिन फिर भी पार्टी का नाम बेचकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है।

दोनों दलाल जिनके संबोधन के लिए मोटू और लंबू शब्द सटीक रहेगा,इनके बारे में लोग बताते है कि काल भैरव के परमभक्त है और बेचारे पटवारी को भी उसी भक्ति में तल्लीन कर दिए है।अब सीधा-साधा पटवारी  सुबह से काल भैरव की पूजा में तल्लीन हो जाता है और भैरव जी को प्रसन्न करने के लिए हर जतन करता है। अब उसके भोग से भले ही काल भैरव प्रसन्न न होते हो लेकिन पटवारी साहब तो बखूबी प्रसन्न हो जाते है…बम..बम..


कुछ लोग जो पटवारी को करीब से जानते है,गृह ग्राम से जुड़े है संपत्ति देखकर आश्चर्य में है। करोड़ो का आलीशान मकान कई जगह जमीन आखिर इतनी जल्दी सब कुछ कैसे संभव हो गया..?  एक बात तो आप सबको बताना भूल ही गया एक दलाल जो शोसल मीडिया पर दूसरे की संपत्ति की जांच की मांग कर रहा है उसे समझ आना चाहिए कि “जिनके घर कांच के होते है वो दूसरे घर पर पत्थर नही मारा करते”।  झोला लेकर आये थे आज आलीशान मकान बना लिए कई ट्रेलर चल रहे है फिर भी पटवारी को धन्यवाद देने के बजाय दूसरे की संपत्ति के पीछे पड़े हो और शोशल मीडिया पर लिख रहे हो। खैर मुझे क्या मेरा तो साफ कहना है

कबीरा खड़ा बाज़ार में,मांगे सबकी खैर,ना काहू से दोस्ती न काहू से बैर।

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